जज़्बात
जज़्बात
कभी दिल ना दुखाना किसी का,
कभी किसी के जज़्बात से ना खेलना।
दोस्तों यह कलयुग नहीं कर युग है,
जैसा करोगे वैसा भरोगे।
किसी के जज्बात आंसू भी हो सकते हैं,
ये आंसू खुशी या गम के हो सकते हैं।
उन आंसुओं में कभी क्रोध तो
कभी प्यार छुपा हो सकता है।
इसलिए कभी भी किसी का दिल ना दुखाना,
किसी के जज्बात से ना खेलना।