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Meena Bhatia

Abstract Tragedy Classics

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Meena Bhatia

Abstract Tragedy Classics

जज़्बात

जज़्बात

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कभी किसी का दिल न दुखाना,

कभी किसी के जज़्बात से ना खेलना।


यह कलयुग नहीं कर युग है,

 जैसा करेंगे वैसा भरेंगे।


किसी के दिल के जज़्बात,

आंसुओं से भरे हो सकते हैं।

आंसू ये खुशी के और गम के हो सकते हैं।


कभी यह जज़्बात जुबान भी हो सकते हैं,

 कभी क्रोध और कभी प्यार भी हो सकते हैं।


 कुछ भी हो ना तुम दिल दुखाना किसी का ,

ना किसी के जज़्बात से खेलना।


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