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Shivi Khurana

Tragedy

3  

Shivi Khurana

Tragedy

जल गई वो

जल गई वो

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रूह तो उसकी जलने से पहले ही जल गई थी,

 उन दरिंदो ने उसका जिस्म भी जला दिया।

क्या लड़की होना ही खता थी उसकी,

जो ऐसी बेरहम मौत का जाल फैला दिया।


पूछना चाहती हूं मै उस भगवान से,

कि क्या यही है इंसाफ तुम्हारा ?

कैसे कर सकता है कोई ऐसा हश्र किसी के साथ

क्या नहीं चलता कोई बस तुम्हारा ?


इंसानियत का नामो निशान नहीं जिनमें,

ऐसे दरिंदो को क्यों तुमने इंसानों का रूप दिया ?

ऐसे कौन से कर्मो का बदला है आखिर ये,

जो महज़ जाति के नाम पे ही बांट दिया ?


कितनों की इज्जत लूटी,

कितनो की जान चली गई,

आखिर कब ख़त्म होगा

ये कुकर्मों का किस्सा ?


हर आधे घंटे में घटती है

एक दिल दहलाने वाली घटना,

कब मिलेगा उन खत्म हुई ज़िंदगियों को

उनके इंसाफ का हिस्सा ?


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