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Mamta Singh Devaa

Inspirational

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Mamta Singh Devaa

Inspirational

" दोहरी जिंदगी...एक छलावा "

" दोहरी जिंदगी...एक छलावा "

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दोहरी ज़िंदगी...ये भी कोई ज़िंदगी है

दोहरी ज़िंदगी... नहीं कोई बंदगी है,

दोहरी ज़िंदगी... कैसे कोई जीता है

दोहरी ज़िंदगी...मन का कोना जैसे रीता है,

दोहरी ज़िंदगी...खुद से अजनबी बनते हैं

दोहरी ज़िंदगी...अपनों को अजनबी कहते हैं,

दोहरी ज़िंदगी...जैसे साम - दाम - दंड है

दोहरी ज़िंदगी...इसका नहीं कोई मापदंड है,

दोहरी ज़िंदगी...बहुतों के जीवन की पिपासा है

दोहरी ज़िंदगी...कितनों की अभिलाषा है,

दोहरी ज़िंदगी...मन का एक छलावा है

दोहरी ज़िंदगी...आडंबर है दिखावा है,

दोहरी ज़िंदगी...अपने आप से आँख चुराना है

दोहरी ज़िंदगी...बात - बात पर बहाना है,

दोहरी ज़िंदगी...क्षण भर का ठहराव है

दोहरी ज़िंदगी...फिर पानी का बहाव है,

दोहरी ज़िंदगी...मचले तो मृगतृष्णा है

दोहरी ज़िंदगी...नहीं संभले तो घृणा है,

दोहरी ज़िंदगी...सबसे बड़ा धोखा है

दोहरी ज़िंदगी...माचिस से भरा खोखा है,

दोहरी ज़िंदगी...नहीं चेते तो व्यसन है

दोहरी ज़िंदगी...चेत गये तो प्रवचन है ।



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