STORYMIRROR

Bhavna Thaker

Inspirational

3  

Bhavna Thaker

Inspirational

पेड़ो का दर्द

पेड़ो का दर्द

2 mins
428


क्यूँ सपनें से डर लगता है मुझे 

पीछा करते है पेड़ों के दरख़्त...

मैं भागती हूँ पता नहीं क्यूँ एक

दिल की आकृति उभरकर

मेरे सीने में चुभ जाती है.....


आसपास के पेड़ों की पत्तियों से

अजीब आवाजें सुनकर दहल जाती हूँ

शाखाएँ और टहनियां जैसे उपहास में

मज़ाक उड़ा रही है....


चारों और पेड़ों से भरे घने जंगल ना

भागने का रास्ता दिखाई देता है

ना रौशनी

मैं डर के मारे हाथों से आँखों को

दबाये बैठ जाती हूँ.....


की धीरे से सामने वाले पेड़ से सिसकियां

लेता एक दिल निकला सुबक रहा था,

बैठ गया मेरी हथेली पर हौले से आ कर....


बोला डर मत पगली मैं यहाँ सालों से

तड़प रहा हूँ जो जो तेरे दिल पर

बितती है मैं भी भुगतता हूँ...


मैं वो ही दिल हूँ जो बरसों पहले

दो हाथों ने साथ मिलकर मुझे

कुरेदा था उस पेड़ पर, तु

म दोनों

तो जुदा हो गये पर...

...देखो तुम दोनों के नाम

आज भी साथ साथ है ,


शुरुआत के कुछ सालों मैं बहुत खुश था

तुम दोनों का प्यार परवान चढ़ा था,

पर धीरे धीरे तुम दोनों एक दूसरे से त्रस्त

होते चले दिलों में दरारें पड़ गई,

एहसासों के मरते ही तुम दोनों ने अग्नि

संस्कार कर दिया एक दूसरे के प्यार का...


पर तुम दोनों के दिल कि रुह यानी की मैं

अब भी तड़प रहा हूँ बंधन से बंधा हूँ,

जो वादे तुम दोनों ने मेरा सृजन करते

वक्त किये थे खायी थी जो कसमें वो

अब भी धड़क रही है मेरे अस्तित्व में....


या तो एहसासों की नमी बक्श दो या

कर दो मेरा भी अंतिम संस्कार,

और कहना सभी सिर्फ़ नाम के

प्रेमीयों को कि पेड़ों में भी जान होती है

झूठे वादों के नाम पे हमारा सीना ना

छिले..दर्द होता है हमें भी।

सपने की सच्चाई कितनी सच्ची थी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational