अपना साया
अपना साया
याद आयी जब भी तुम्हारी,
एक नज़्म हो गयी
तुम्हारे कदमों की आहट से,
रौशन मेरी बज़्म हो गयी
मिठास-सी घुल जाती है,
दुनिया में मेरी, तुम्हारी बातों से
अपनेपन की खुश्बू-सी आती है मुझे,
तुम्हारी साँसों से
तुम्हारे एहसास में मैंने खुद को पाया है
सच कहूँ तो तुम्हारा वजूद, मेरा हमसाया है
कहना तो बहुत कुछ है,
मगर कहना ज़रूरी तो नहीं
तुम्हें रिश्तों में बांधना तो है,
मगर बांधना ज़रूरी तो नहीं
कि, रिश्ते साथ छोड़ जाते हैं अक्सर
पर साए साथ निभाते हैं उम्र भर..