दो पल दिल बहल जायेगा
दो पल दिल बहल जायेगा
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रहें गुमसुम कब तलक खुद में दम निकल जायेगा,
कोई गुफ्तगू कर ले पल दो पल दिल बहल जायेगा।
रहता नहीं ठहरा हुआ ये वक्त बदल जायेगा,
जब रू ब रू होंगे आईने से ख्वाब रेत सा फिसल जायेगा।
यूँ ही खामोश रह लेतें हम उम्र भर "इंदर",
यूँ इस कदर ना तोड़ता हमें खामोशियों का असर।
गुमनाम सा इक "दर्द" रूह तक ढल जायेगा,
कोई गुफ्तगू कर ले पल दो पल दिल बहल जायेगा।