दंभ
दंभ
सुनो!
बहा देना किसी नदी में
या जला आना अग्नि में
नहीं तो गाढ़ देना
जमीन में कब्र बना
जब भी मेरे पास आओ
तुम दंभविहीन आना
गर तुम ओढ़कर आये
दंभ का लिबास
तो कोसों दूर हो जाओगे
मेरी आत्मा से
हां ! तन जरूर होगा
तुम्हारे साथ
मगर बिना आत्मा का तन
केवल और केवल
लाश होता है
जानते हो ना!