दिवानी लडकी
दिवानी लडकी
एक लडकी है दिवानी सी
राह वह तकती रेहती हैं अपने पिया की
दूर कही किसी सरहद्द पर वह रक्षा कर रहा है इस देश की
पर यह पगली यहा उंगली मैं पहने
अंगुठी रोज ढुंढती है वह रेल की पटरी
कब आयेगा उसका जीवनसाथी
यही है अब हमेशा सोचती
त्याग जी किया इस देश के प्रती क्या होगी
अब इसकी गती क्या मिलेगी इस इंतजार को
इजाजत रुकने की या फिर सजा यह चलेगी ऐसी ही
इस घने कोहरे मैं अब वह तो सिर्फ राह है
ढुंढ रही पिछे फिरु या आगे बढु बस इसी कशमकश मैं
उसको भी ना पता की क्या होगा अब आगे
अब वह तो सिर्फ इतना सोचती की जो चल रहा है
चलने दो देखा जायेगा अब जो होगा आगे......