कितनी प्यारी लगती है....
कितनी प्यारी लगती है....
सुंदर लगती है वह जब अपना रूप संवरके
तयार होकार उसके आंगण मैं नाच रहे
मोरों के साथ झुमती है, खिलखिलाती है
उनके साथ कभी अपनी खुशियां बाटती है
तो कभी अपने गमों को आसुओं के जरिये बहा देती है
शायद वह मोर ही उसके एक लौते दोस्त है इसिलिये तो
अपने जान स ज्यादा वह उंका ध्यान रखती है
सफेद कपडे पेहन के जब वह अपनी
चूनार सर पे ओढ के बाहर निकलती है
अपने ऊस साधे लिहाज का भी वह कितना ध्यान रखती है
उसी समय अपने ऊस नंन्हे दोस्त को देख
अपना पसंदिदा जेवर उसे दिखाती है और
हँस पड़ती है तो और भी ज्यादा प्यारी लागतो है
हाय कितनी प्यारी लगती है वह
अपनी सारी हदो मैं रेहकर जब वह तयार होकर
अपने मोरों के साथ खेलती है तब
सच मैं कितनी प्यारी लगती है ना वह.....