माँ
माँ
माँ तो आखिर माँ होती है
दीन रात सोते जगते बस अपने बच्चो के बारे मैं सोचती है
कभी धूप हो या छाव उसे तो बस उनकी ही फिक्र रहती है
माँ तो बस माँ होती है
जिसके आगे दुनिया भी फिकी है
जिसके होने से घर मैं रोशनी है और ना होने से जिंदगी मैं अंधेरा
जो हर दिलं का तुकडा हैं
और हिसके दिलं का तुकडा हम है
जिससे हमारी यह धडकन है aur जिसके लिये यह जिंदगी हैं कुरबान
जो कभी बच्चे बिमार हो तो खुद सोती नहीं है जिंदगी भर बस अपने बरे मैं नहीं बस परिवार के बारे मैं सोचती है ऐसी होती है माँ।