गावं की नदी
गावं की नदी
क्या बात करूं ऊस गावं के नदी की
सुहानी हसीन होकर बहती हुयी
कभी शांत तो कभी किसी लडकी की
तरह हसती खीलखीलाती बिछलती हुयी
कभी किसी के दुखों को समझने वाली
तो कभी किसी के प्यार के नगमे गाणे वाली
तो कभी औरतो की गपशप, बच्चो की कीलकरियां,
तो किसी नाव वाले के गाणे सूनने वाली
कभी बारिश से तंग होकर भर भर के बहने वाली
तो कभी गर्मी ज्यादा ही जाये तो गुस्सा होकर गायब होने वाली
हसीन वादियां हो या तुफान बारिश या
ठंड अपना काम कर युं ही बहने वाली
क्या बात करूँ मैं अपने उस गावं के नदी की
इतनी सारी प्यारी प्यारी यादें देने वाली.....
