दिन का ढलना और शाम का होना
दिन का ढलना और शाम का होना
दिन का ढलना और शाम का होना
जैसे मेरी ख़ुशियों का दुगना होना...
पक्षियों का अपने घोसले में लौटना
मेरा अपने घर की ओर कदम बढ़ाना
अपने लोग, अपना घर, अपना आंगन
उनके बीच अपने आप को फिर से पाना...
बच्चे की छोटी सी बाहों में खुद को समाना
उसकी प्यार भरी आंखों में अपने आप को
पाना...
इंजीनियर, डॉक्टर, लॉयर, के मुखौटे को
वही दरवाज़े पर भूलना,
अपनों के पास बस बेटी, बहु, मां,
और बीवी बनकर आना...
अपने प्यार से सबका दिल जीतना,
उनका प्यार पाने के लिए हर मुमकिन चीज करना,
भगवान की भक्ति करने का एक और मौका मिलना,
मंदिर का दीया जला कर दिव्य शकुन पाना,
दिन का ढलना और शाम का होना
जैसे मेरी ख़ुशियों का दुगना होना...
