दिल का क्या करें
दिल का क्या करें
हर वक़्त किसी का एहसास होता है
वह क्यों दिल के इतने पास रहता है
दिल यह मेरा हक़ीक़त को जानने से इनकार करता है
यह सिर्फ उसी को याद् करता है।
कैसे उसे इत्तला करूँ,
दिल का हाल बयां करू
वह पास होके भी नहीं है,
उसे मेरे दिल की खबर ही नहीं है ,
अपने दिल को कैसे रिहा करूं
उसकी यादों से उसे कैसे जुदा करूँ
मासूम हम हैं तो बेवफा वह भी नहीं
पर दिल का क्या करें यह किसी की सुनता ही नहीं।

