दिली ख्वाहिश
दिली ख्वाहिश
दिल मेरा मस्ताना है
कभी यहाँ घूमता है
कभी वहाँ टहलता है
कभी इधर भटकता है
कभी उधर सुलगता है
दिल मेरा कारिस्ताना है
कभी यहाँ सिमटता है
कभी वहाँ सिसकता है
कभी इधर बहकता है
कभी उधर मचलता है
दिल मेरा ख्वाहिशी है
कभी यहाँ चाहत ढूंढता है
कभी वहाँ इश्क़ खोजता है
कभी इधर समा बनाता है
कभी उधर आग लगाता है
कहीं इसका भी अपना
मन तो नहीं
कहीं इसका भी अपना
अख्तियार तो नहीं
दिन-रात इसी
सोच में डूबा
रहता है कि
कहीं ये ख्वाहिशें
मेरा जीवन तो
नहीं मांग रहीं !