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मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

Romance

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मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

Romance

“दिलासा”

“दिलासा”

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कोई शिकवा नहीं,

मैं तो शुक्रगुज़ार हूँ

इस एहसान के लिए


थोड़ी देर को सही

कुछ दूर ही सही;

यह कम तो नहीं

तुम चली हो साथ!


तुम्हारे फ़ैसले में फिर

हित मेरा भी तो था

आत्मनिर्भरता आती कैसे

एक सहारे के रहते...


कितनी दूर जा पाता

कठिन जीवन-पथ पर

थामे तुम्हारा हाथ?!


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