दिल तोड़ जाते हैं
दिल तोड़ जाते हैं
अपनापन दीखता नहीं
अब अपनों की आँखों में
कहते हैं में हबूब और
तड़पाते हैं ख़्यालातों में !
अब तो उनकी याद
आती हैं रातों में
दिल तोड़ जाते हैं हर रोज़
बातों ही बातों में !
वो ठहर जाये
कुछ पल
तो दिल को सुकून मिले
भूल जाऊँ मैं
उसके सारे शिकवे - गिले!
कहते हैं दोस्त
छोड़ जाते हैं
मुश्किल हालातों में
सब सपना दीखता है
उसकी आँखों में
दिल तोड़ जाते हैं हर रोज़
बातों ही बातों में !