दिल से - इंतजार ।
दिल से - इंतजार ।
* पता नहीं, प्यार मैं ये कम्बखत "इंतजार" बीच में कहां से आ जाता है, उसके आने की खबर भी शायद इसे पहले लगी होगी, तभी तो आंखों मैं आकर पहले बैठ जाता है। पता नहीं ये कम्बखत "इंतजार" बीच में कहां से आजाता है।
* और अगर वो आ भी जाए, अगर आ भी जाए तो कुछ कहने नहीं देते हैं मेरे शब्द भी "इंतज़ार" के सगे हो लेते हैं। पूछने कुछ नहीं देता है, नाम पता शहर तक तो पहुचने भी नहीं देता है पता नहीं ये कम्बाखत "इंतजार" बीच में क्यों आ जाता है।
* अच्छा सुना है इस मामले मे दोस्त बहुत काम आते हैं, इधर से उधर की बात बिना "इंतजार" के पहुंचा देते हैं, पर क्या पता था लोग सुनी सुनायी को कब अफसानों में बदल देते हैं। ये कमीने दोस्त भी इंतज़ार से कम नहीं होते हैं।
* कोई तो होगा जो दिल की बात उसके दिल तक पंहुचा सकता होगा, बिना "इंतजार" के उसकी "हां या हां" मुझ तक ला सकता होगा, अरे रहने दो "इंतजार" को अपनी अक्कड़ में
पता चलेगा जब वो भी कोसेगी ईसे हमारे "इंतजार" में।
* चल छोड जाने दे, अब तो ढूंडले कोई और ठिकाना कसम देकर कहता हूं बस आज बीच मैं मत आजाना।आज वो आये या ना आये, इंतजार करना मैं नहीं छोडूंगा, तेरी ज़िद के आगे मैं भी अपना हक नहीं छोडूंगा।
* कहकर रहूंगा आज हर शब्द दिल के, कल उसके जवाब का "इंतजार" भी फिर यहीं करूंगा।।