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Deepak Parashar

Classics Inspirational

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Deepak Parashar

Classics Inspirational

दिल से

दिल से

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बचपन से मां बाप ने बहुत सीख सिखाई शिक्षक किताबे दोस्त रिश्तों ने भीय यहीगाड़ी चलाई पर जिंदगी तब समझ आई जब पहली बार पहली कमाई हाथ में आई।

मांग हमेशा से बहुत रखा था और लेना भी जरूरी था पर मिलना शायद उतना ही था जितना चुका रखा था

बचपन की यादें बचपन की ख्वाहिशें कुछ धुंधली है पर अभी भी कहीं दबी है। रोज़ सोने से पहले सोचता हूं कि उठकर पूरा करूंगा फ़िर रोज़ उठकर सोचता हूँ कल पक्का करूँगा

सच कहूं तो आज भी बर्गर से ज्यादा भोला की चाट‌ या‌द आती हैमे, मेरे घर मैं अभी भी परांठा मां ही बनाती है।

ऐसा नहीं जिंदगी से शिकायत बहुत है बस ये यादों का बोझ थोड़ा अधिक है। झूठ कहते हैं की समय सब भुला देता है वो असल मैं नई भूल भलैया मैं भटका देता है।

जिंदगी उसी का नाम है यारो जो ना मिले उसे छोड दो,जो लेना है उसे आने दो, पर जो है - उसे जी लो, उसे जी लो

बस इसी का नाम जिंदगी है यारो और यही पैगाम जिंदगी का है यारो।


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