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अनामिका वैश्य आईना Anamika Vaish Aina

Abstract Children Stories Comedy

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अनामिका वैश्य आईना Anamika Vaish Aina

Abstract Children Stories Comedy

भटकाव का दौर

भटकाव का दौर

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भटकाव का दौर है जरा सा संभल जाइए

बेनक़ाब हो गए उनके लिए बदल जाइए..


ज़माना इंसां को वक्त अरु दौलत से आंकता है

जेबें टटोलकर ही रिश्ते और प्रेम को मापता है..


भटका हुआ है इंसान कलियुगी दौर में

मान देना है कितना देखे रुतबे के तौर मे..


हुआ स्वार्थी भावना से परे लोगों को ही छले

विषधर समान ही रखे विष मन के भीतर पले...


भटकाव है संस्कृति सभ्यता और संस्कारों से

इंसान से नहीं बच रहा इंसान के प्रहारों से..


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