दिल पर मेरा बस नहीं
दिल पर मेरा बस नहीं


क्या करूँ इस दिल का अब मैं।
जो कही भी अब लगता नहीं।
सोचता हूँ कुछ और,
कुछ और हो जाता है।
क्योंकि अब दिल पर बस चलता नहीं।
दिल का हाल अब कैसे जाने हम।
दिल की धडकनों को कैसे पहचाने हम।
कौन सा रोग लग गया है हमें।
अब किससे इसका इलाज कराए हम।
दूर होकर भी बहुत पास हो तुम।
दिल की धड़कनों का एक राज हो तुम।
कैसे कह दूं किसी को भी अब मैं।
क्योंकि मेरे जीने की आस हो तुम।।