दिल की सजा
दिल की सजा
हर दिल इतना मासूम भी नहीं है
फरेबी के इरादे मालूम भी नहीं है।
मर्द के सीने में धड़कते कई दिल
इसमें एक ही खातून भी नहीं है।
दिमाग भी झेलता है कई उलझनें
दिल ही इतना मायूस भी नहीं है।
वो वादा करके निकले अपनी राह
हमारा दिल अब साबूत भी नहीं है।
वफ़ा तो खता नहीं है 'सिंधवाल'
दिल को सजा मालूम भी नहीं है।