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Lakshman Jha

Romance

4  

Lakshman Jha

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दिल की दास्ताँ

दिल की दास्ताँ

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कैसे कहूँ मैं दिल की दास्ताँ को, कोई पास आके बात मेरी सुनले !

कब तलक यूंही छुपाके सीने में, राज को अपनी तिजोरी में रखले !


छुपा के रखा था, प्यार के फसाने को, दवा के रखा था,

प्यार के तराने को ! छुपा के रखा था,

प्यार के फसाने को, दवा के रखा था, प्यार के तराने को।


अपना गीत गा के सुनाऊँगा तुम्हें, दर्द के गीत हम यूं एहसास करले !

कब तलक यूं ही छुपा के सीने में, राज को अपनी तिजोरी में रखले,


कैसे कहूँ मैं दिल की दास्ताँ को, कोई पास आके बात मेरी सुनले,

कब तलक यूंही छुपाके सीने में, राज को अपनी तिजोरी में रखले !


बस हो गई जुदाई, अब रहा जाता नहीं, छुपछुप के तन्हाई, को सहा जाता नहीं !

बस हो गई जुदाई, अब रहा जाता नहीं, छुपछुप के तन्हाई, को सहा जाता नहीं !


दिन हमारे थे वे गुजरते चले गए, वक्त आया मिलन का गीत गाले !

कब तलक यूं ही छुपाके सीने में, राज को अपनी तिजोरी में रख ले,


कैसे कहूँ मैं दिल की दास्ताँ को, कोई पास आके बात मेरी सुनले,

कब तलक यूं ही छुपाके सीने में, राज को अपनी तिजोरी में रखले !


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