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Pushpa Srivastava

Romance

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Pushpa Srivastava

Romance

दिल की बातें

दिल की बातें

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सोचा कि तुमसे हाल-ए-दिल बयां करूं

जुबां से ना सही तो शब्दों से ही बयां करूं

पर दिल की बातों को मैं तुमसे कैसे कहूं

पाती भी लिखूं तो उसमें क्या, कैसे लिखूं।


प्रतीक्षा में तुम्हारे व्याकुल क्षण कैसे बिताऊं

यादों के सहारे मन के दीप को कैसे जलाऊं

लंबी लंबी बातों को कम शब्दों में कैसे जताऊं

पाती में तड़पता हुआ दिल तुम्हें कैसे दिखाऊं।


धीमे धीमे चलती धड़कनें तुम्हें कैसे मैं सुनाऊं

दुख से भारी हुए मन को तुम्हें कैसे मैं दिखाऊं

सूनी निगाहें लेकर कौन से पथ पर तुम्हें खोजूं

पाती में अनगिनत प्रश्नों को मैं तुमसे कैसे पूछुं।


लिखे पत्र को ना भेजा मैंने बातें अब कैसे कहूं

दिल की बातें अब तुम्ही कहो नजरों से कैसे कहूं

हाले दिल मैं अपना तुम्हे शब्दों से ना बयां करूं

तो समझो नजरों को मेरी मैं नजरों से ही बयां करूं।


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