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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Classics Fantasy Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Classics Fantasy Inspirational

दिल के आईने में

दिल के आईने में

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दिल के आईने में क्या

कभी खुद को देखा है ? 

अगर अभी तक नहीं देखा 

तो अब देख लीजिए। 


वहां आपको अपनी

सही सही तस्वीर मिलेगी। 

मन का मैल दिखेगा

चेहरे की कालिख मिलेगी 


प्रेम का समंदर मिलेगा 

नफरतों का जंगल मिलेगा 

ईर्ष्या का दावानल है वहां 

द्वेष का हलाहल है वहां 


खरगोश सी मासूमियत मिलेगी 

सियार सी सियासत मिलेगी 

बिल्ली सी दगाबाजी मिलेगी 

व्यापारी सी सौदेबाजी मिलेगी 


सावन की फुहार मिलेगी 

बसंत सी बहार मिलेगी 

प्रेमियों सी पुकार मिलेगी 

राजाओं सी जय जयकार मिलेगी 


खुशियों की पुरवाई है वहां 

दुखों की दवाई है वहां 

लालच का भंडार भरा है 

मोह का अंबार लगा है 


"काम" की प्रचुरता है 

क्रोध की अधिकता है 

दंभ की चोटियां खड़ी हैं 

शतरंज की गोटियां पड़ी है 

सत्य कहीं सोया पड़ा है 

धर्म कहीं खोया पड़ा है 

हिंसा के जबड़ों में 

अहिंसा जकड़ी हुई है

आत्मा कहीं पर 

लकड़ी सी अकड़ी हुई है 

अगर गौर से देखोगे तो 

प्रभु भी दिख जाएंगे 

बस उसी क्षण से ही 

सोचने के दायरे बदल जाएंगे।


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