दिल और धड़कन
दिल और धड़कन
एक अंजान शहर में
अजनबियों के भीड़ में
तन्हाई का मौसम है,
अपनों से दूर
एक अकेला दिल
एक अकेली धड़कन
एक दूसरे का सहारा बनते हैं
एक दूसरे को खुब चाहते हैं,
खुब समझते हैं ।
दिल की हर ख्वाहिश धड़कन जानती है
धड़कन की हर सलाह को दिल मानता है
दिल के सारे गम धड़कन छुपाती है
धड़कन की आहट दिल ही संभालता है
दिल की खुशियां धड़कन चुराती है
और धड़कन की आवाज़ दिल में समाती है ।
दिल की कुछ मजबूरियां होती है
जिसके लिए धड़कन भी रोती है
फिर दिल निकल पड़ता है
अनजानों के बिच अपनों को ढूंढने के लिए
दिल की बात धड़कन मानती है
दोनों मिलकर कोशिश करते हैं
की हर अंजान को अपना बनाएं
हर मुश्किल को आसान बनाएं
और हर एक दिल में
अपनी पहचान बनाएं ।
