दिखने और होने में भेद
दिखने और होने में भेद
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परिश्रम की जो मिसाल बने।
धूप में उनके ही रंग उड़ते दिखे।
आहट पर जो सचेत दिखे।
कुंभकरण की भांति सोते मिले।
जिंदगी का पाठ जो पढ़ाते रहे।
हर कदम पर वही लड़खड़ाते रहे।
सिद्धांतों में जो सबको उलझाते रहे।
व्यवहारिक ज्ञान से
वे थे कि कोसों दूर रहे।
हरियाली बढ़ाने की जो बातें करते रहे।
वही रोज लकड़ी के मकानों का
ठेका लेते रहे।