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king Himanshu

Tragedy

3  

king Himanshu

Tragedy

दीया

दीया

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हमने वफ़ा के नाम पर जो भी दिया जलता गया,

रौशनी कम हो गई फ़िर भी दीया जलता गया।।


क्या गज़ब की आग थी उस बेवफ़ा के हाथ में,

खाली दीया उसने उठा कर रख दिया जलता गया।।


जिसके आँगन वो जला उसकी दीवाली उम्र भर,

मेरे लिए दहलीज़ पर बस एक दीया जलता गया।।


तेरी याद में ग़म का सफ़र आधा अधूरा छोड़ कर,

मैं सो गया मेरे सिराहने पर दीया जलता गया।।


यूँ नहीं कि बस "समर" ही उसकी खातिर था जला,

उस शख़्श ने जिस भी दीये को कह दिया जलता गया।।



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