दीवाना मुर्शिद का।
दीवाना मुर्शिद का।
बेरंगी मेरी दुनिया को, रंगीन बना गया कोई,
उधेड़ बुन भरा मेरा जीवन, संवार गया कोई।।
जीने का सलीका न था, सिखा गया कोई,
मलिन भरा दिल था, निर्मल बना गया कोई।।
बेरुखी भरे मन में, मुस्कान दिला गया कोई,
मदमस्त फिरूँ ऐसे, जाम पिला गया कोई।।
बुझने न देती ऐसी शमा, जला गया कोई,
विरह मिलन की है ऐसी, पागल बना गया कोई।।
मिटने न देतीं यादें, दिल में समा गया कोई,
" नीरज" तो है "दीवाना मुर्शिद का", जीना सिखा गया कोई।।