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Sudershan kumar sharma

Inspirational

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Sudershan kumar sharma

Inspirational

धूल

धूल

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कौन रहता है आजकल मशगूल किताबों में,

जमी रहती है आजकल धूल किताबों में।

हरेक चीज आजकल बेपर्दा है, कौन छुपाता है

अब फूल किताबों में। 


कौन किसी को मानता है आजकल,

लिखे हैं सिर्फ असूल किताबों में। 

स्याही कलम को कोई नहीं जानता,

लगती हो जैसे फिजूल हाथों में। 


इंटरनेट की दूनिया है आजकल की,

सोचते हैं लिखा है सब फिजूल किताबों में। 

लिख कर याद करने की आदत हो गई गायब,

हर कोई भागता है दूर इन बातों से। 


नहीं पूजता विद्या को कोई आजकल सुदर्शन, 

दिखती है रोटी की जूठ किताबों में। 


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