धुंआ-धुंआ
धुंआ-धुंआ
धुँआ धुँआ सा समां,
खुद ही कर बैठे।
तेरे इश्क़ के मारे हम,
खुद से ही खेल बैठे।
एक तेरी बातों का नशा,
जो जन्नत तक ले आया।
एक ये ढ़ाई इंच का नशा,
जहन्नुम तक पहुँचा आया।
एक तो तेरी क़ातिल,
निग़ाहों ने वार किया।
उससे तो हम बच निकले,
पर इसने प्रहार किया।
पतली, दुबली,छरहरी,
तुम्हारी मखमल सी काया।
अफसोस ये रहा कि हमें,
दो उंगलियों का साथ भाया।
जब जी मचले सोच था,
घन्टों फोन पे बातें करेंगे।
तब क्या पता था हमको,
माचिस जला के बहलेंगे।
रूठ कर तुमने तो हमारे,
दिल को तार -तार किया।
इसका साथ पकड़ा तो,
इसने कलेजा ज़ार-ज़ार किया।
तुमसे प्यार कर हम तो,
ऐसे ही नादानी कर बैठे।
इसका दमन थामा तो,
खुद से गुस्ताखी कर बैठे।
धुँआ धुँआ सा समा,
खुद ही कर बैठे।
तेरे इश्क़ के मारे हम,
खुद से ही खेल बैठे।
