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Indu Barot

Abstract

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Indu Barot

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धरोहर

धरोहर

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अतीत की धरोहर जब को देखती हूँ

गर्व के अहसास से भर जाती हूँ ।

ये अतुल्य कुछ टूटी,कुछ आधी अधूरी धरोहर हमारी

जो बांधकर रखती है एक बंधन से हर पीढ़ी को बारी-बारी ।

ये एक ऐसा उपहार है जो हमारे पूर्वजों से मिलता है

हम सँवारते हैं सम्भालते हैं और फिर भविष्य को सौंप जाते हैं ।

साक्षी है वह समय स्वयं भी , जो जाने कब से समेट रहा इतिहास है

नहीं ये कोई स्मृति,रखना सदा धरोहर अपनी ख़ास है ।

ये धरोहर ही तो है जो करती निर्मित हमारा इतिहास है ।

संस्कृति,विरासत और गौरवशाली ये सभ्यता ही तो हम सबकी पहचान है

जो विश्वपटल पर राष्ट्र को दिला रही ऊँचा स्थान है।


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