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Indu Barot

Romance Others

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Indu Barot

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जीवनसंगिनी

जीवनसंगिनी

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छोड़ सपनों को अपने मेरे, तेरे स्वप्न सजाती हूँ।

तेरे कदमों के संग संग, अपने मैं कदम बढ़ाती हूं।

बन सफलता की सीढी मैं, हर मंज़िल तुझे पहुँचाती हूं।

छोड़ सपनों को अपने मेरे ,तेरे हर स्वप्न सजाती हूं।

कर सर्वस्व समर्पण तुझ पर, तेरे ही रंग में मैं रंग जाती हूँ।

अनुबंध प्रेम का बांध प्रिय, मैं तुझमें में ही ख़ुद को पाती हूँ।

छोड़ सपनों को अपने मेरे, तेरा हर स्वप्न सजाती हूँ।

जब थक जाता है रस्ते में तू, बांहों का तकिया मैं बनाती हूँ।

बन कर बाती में तेरी, तेरे पथ का दिया जलाती हूं।

छोड़ सपनों को अपने मेरे, तेरा हर स्वप्न सजाती हूँ।

हो कैसी भी मुश्किल लेकिन, पाकर साथ तेरा हर क्षण मैं मुस्काती हूँ।

मैं तो अपनी हर धड़कन में बस तुझको ही पाती हूं।

छोड़ सपनों को अपने मेरे , तेरा हर स्वप्न सजाती हूं।

करता तू जब मेरे हर छोटे से छोटा सपना पूरा,

कितनी भाग्यशाली मैं ख़ुद को पाती हूँ।

इस भीड़ भरी दुनिया में सदा इक ढाल सा तुझको पाती हूँ।

छोड़ सपनों को अपने मेरे, तेरा हर स्वप्न सजाती हूँ।



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