बेटी
बेटी
डर डर के ना रहना बेटी,
बन निर्भय निडर तुझको है चलना।
भोली भाली सूरत तेरी, आता तुझ पर प्यार है।
घात लगाये बैठा राक्षस करने तेरा शिकार है।
पर तुझको भ्रमित नहीं होना है।
तुझको चलना है बस चलते जाना है।
अपनी मंज़िल को पाना है।
प्रचलित गतियों से बचना है,
अपना पथ तुझको ही रचना है बेटी।
रस्ते होंगे मुश्किल, पर लक्ष्य हासिल करना है।
चलना बस चलना तुझको
हर बाधा से डटकर लडना है
अन्याय नहीं करना तुझको स्वीकार है।
झूठ फरेब के राक्षस पर करना तुझको प्रहार है।
डर डर के क्या जीना होता है।
जी जीकर फिर मरना क्या होता है।
सबको ये बतलाना बेटी।
हो कैसी भी विपदा, तुझको नहीं घबराना बेटी।
ढूँढना अब तुझको तेरा ही किरदार है।
बनकर मजबूर नहीं सहना अत्याचार है।
लगा पंख अब तुझको उडना है।
नहीं डरना तुझको, नहीं कहीं अब गिरना है।
रखना खुद का ख़ुद पर अधिकार है।
तेरी ही कश्ती है
तेरी ही पतवार है।
गर जो लगे कभी तुझको तुझसे ही थकान बेटी
तो बस रखना इतना सदा तुझको ध्यान है।
तू ही भविष्य है कल का,
तुझसे ही ये संसार है।
तूझसे ही है हर व्यक्ति,
तू ही तो हर व्यक्ति का आधार है।