दहेज
दहेज
सुना आज एक और बेटी आग के हवाले कर दी गई,
बाबा की लाडली लाई कम दहेज आग में झोंक दी गई ।
सपने उसकी ऑखों ने भी सजाये तो बहुत सारे ,
सारे सपने धरे के धरे रह गए जब ससुराल के ताने सुने।
क्या करती गरीब बाप की बेटी थी चुपचाप सहती रही,
करती रहती काम सारा दिन और गमों को पीती रही।
बाबुल की लाडली ने अपने बाबा से दिल की बात नहीं कही,
अंदर ही अंदर अत्याचार सह सुखद पलों का इंतजार करती रही ।
आज अखबार में अत्याचार की दास्तान खबर बन गई ,
लिया मैंने भी संकल्प दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाऊँगी।
दहेज माँगने वालों के विरुद्ध समाज में आवाज़ उठाकर,
बेटियों को जागरूक बना ऐसे लालचियों को जेल की हवा खिलाऊँगी ।।
