धागा
धागा
बहुत ही काम का होता है,
यह धागा,
कुछ अगर उधड़ा हो,
तो,
सिलने के काम आता है,
यह धागा।
तुम्हारा कोई,
मनपसंद कपड़ा अगर,
अटक कर फट जाये,
तो उस फटे हिस्से को,
रफू करने के काम आता है,
यह धागा।
लाल रंग का हो तो,
कलावा बन,
हर पूजा का हिस्सा,
बन जाता है,
यह धागा।
अगर काला रंग हो इसका,
तो सबको बुरी नज़र से,
बचाता है, यह धागा।
पीले रंग का है तो,
सुहागन के गले में,
उसके सावित्री रूप होने को,
बताता है,
यह धागा।
कितनो ही के गले में,
तो कुछ की बांह में,
ताबीज बांधे,
उनका रक्षा कवच बन जाता,
यह धागा।
कितनी ही बार,
भरवा करेले के,
मसाले को बाहर गिरने से,
बचाता है,
यह धागा।
थोड़ा मजबूत, मोटा हो जाए तो,
मांजा बन,
कागज की पतंग को,
आसमान की,
ऊंचाई पर ले जाता यह धागा।
गिरते तापमान में,
ठिठुरते बदन को,
ऊन से बुन ,
स्वेटर बन,
शरीर को गलने से बचाया, यह धागा।
तुम ठीक से चल सको,
कैसी भी जगह हो,
तुम कभी गिरो नहीं,
तुम्हारे जूते का फीता बन,
सारे जहान की सैर करवाता यह धागा।
शरीर का कोई अंग,
अगर कट फट जाये तो,
डाक्टर के हाथ का औजार बन,
उस हिस्से को भी जोड़,
देता यह धागा।
कितना महीन,
बारीक होता है यह धागा,
फिर भी अगर उलझ जाये,
तो मुश्किल से सुलझता यह धागा।
यूं तो बहुत तुच्छ सा,
बहुत आम सा होता यह धागा,
बस अगर गांठ पड़ जाए तो,
अपनी खूबसूरती और मजबूती,
खो देता यह धागा।