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दगाबाज दोस्त पाक

दगाबाज दोस्त पाक

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जलाया दिल में आग,

इतना उसे बुझाना मुश्किल।

दिया जो इतने दाग दोस्ती में,

अब भूलना मुश्किल॥


बढ़ाया था हमने भी हाथ,

दोस्ती का फिर से।

घायल खंजरे कारगिल,

रिश्ता निभाना मुश्किल॥


एक नहीं हजारों घाव,

दिये तूने मुझे ए दोस्त।

दर्द इतना किस्सा-ए-धोखा,

सुनाना मुश्किल॥


हर कोशिश की मैंने,

हमारी दोस्ती न टूटे।

संग गैरों दिये ज़ख्म,

अब निभाना मुश्किल॥


तू रहे खुश हाल मदद की,

तेरी एक आवाज़ मैंने।

हर फरेब कातिल संग तेरी,

यादों को बिताना मुश्किल॥


नाम पाक इरादे नापाक,

क्या ख़ुदा करेगा तुझे माफ़।

तू खुद हुआ बदनाम,

इतना संग नाम लिखाना॥


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