देश का सेवक
देश का सेवक
मैं हूं अनपढ़
मैं हूं गंवार
मुझमें नहीं लोभ, मोह
कुछ पाने की
लेकिन मैं हर वक्त
सोचता हूं
देश के बारे में
बनना चाहता हूं
देश का सच्चा सेवक।
न मुझे चाहिए कुर्सी
न मुझे चाहिए दौलत,
धन, मान, ज्ञान
मुझे बनना चाहिए
सच्चे देशभक्त,
सच्चे देश सेवक
सच्चे इंसान।
हर पल गाना चाहता हूं
प्यार का संगीत
हर वक्त सोचता हूं
देश का हित
मैं हूं देश का जागरूक नागरिक
देश की भलाई करने में
मुझे मिलता है बहुत
सारा सुख
बनना चाहता हूं मैं
देश का सच्चा सेवक।
गरीबी की विरुद्ध
स्वर उठाना
भ्रष्टाचार के विरुद्ध
नारा लगाने में
मुझे मिलता है
संसार का सारा सुख
स्वास्थ्य, शिक्षा,
परिवेश की उन्नति
करने की मेरा ही है
मुख्य लक्ष्य
क्योंकि मैं बनना
चाहता हूं
देश का सच्चा सेवक।
दलित, पीड़ित, मजदूर की
आंखों से आंसू पोंछना
दुष्कर्मियों को दण्डित करना
भेदभाव करने वालों को
नफ़रत करना
मैं समझता हूं
मेरा धर्म है
इंसान की रक्षा करना
हर किसी इंसान की
मदद करना
मेरा कर्तव्य है
मैं देश की लिए
देश वासियों के लिए
बनना चाहता हूं
कवि, लेखक और दार्शनिक
मैं हर समय
सोचता हूं और बनना
चाहता हूं
देश का सच्चा सेवक।
देश के लिए
मैं बन जाऊंगा भावुक
देश के लिए भी
बन जाऊंगा सैनिक
देश के लिए कुर्बान
करना चाहता हूं मैं
मेरी जान
देश ही मेरा धन दौलत, ज्ञान
ध्यान, मान
मैं हूं उसका
दो दिन का मेहमान
जीना मरना उसके साथ
वही है मेरी पहचान
इसकी सेवा, इसकी पूजा
करके बनना चाहता हूं मैं
अच्छा इंसान
जग में करने को
चाहता हूं जीवन मेरा धन्य
यही मेरा कर्म है
यही मेरा धर्म है
मैं बनना चाहता हूं
महा सेवक
क्योंकि हर घड़ी हर वक़्त
सोचता हूं मेरे तन मन में
मैं बनना चाहता हूं
देश का सच्चा सेवक।