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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

देखकर

देखकर

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हैरान हूं दुनिया की तदबीर देखकर

परेशान हूँ दुनिया की लकीर देखकर

भले को बुरा,बुरे को भला कहती है,

बेजान हूं दुनिया को पत्थर देखकर

जिन्दे को मुर्दा बना रही है,ये दुनिया

हैरान हूँ मुर्दे के आज कारीगर देखकर,

हैरान हूं दुनिया की तदबीर देखकर

ख़ुदा हमसे भीतर ये सवाल पूँछता है

हम इंसानो में वाकई मे कोई जिंदा है

वो दुःखी है आँखों मे नीर देखकर,

धरती को फिर से जन्नत करना है,

सबकी मदद करनी है पीर देखकर

खुदा हमारे नसीब को बदल देगा,

परोपकारी कार्य के हमे वीर देखकर

हैरान हूं दुनिया की तदबीर देखकर,

बहुत खुश हूं सच की तक़दीर देखकर।



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