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Harneet kaur naiyyar

Tragedy Crime

4  

Harneet kaur naiyyar

Tragedy Crime

डरावना

डरावना

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बहुत डरावना था वो सब, 

ज कुछ जिस्म के भूखे जब, 

ले गए थे सुनसान जगह में, 

मैं तो बस जैसे एक बेकार सी, 


गुड़िया हुई उनके लिए, 

रोती बिलखती रह गयी, 

अपनी इज्ज़त के लिए, 

एक के बाद एक चार ने, 


जब चीर दिया मेरे जिस्म को, 

तब बस मैने मौत माँगी रब से, 

दाया ना आई ज़रा भी दरिंदों को, 

मेरी की हर गुहार पर, 


क्यूँ एक बेजान सा, 

खिलौना बना दिया उनने, 

बहुत डरावना ना था सब।


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