डर
डर
तुम कहते हो
तुम भयभीत हो।
प्रश्न पैदा होता है
तुम किस से डरे हुए हो
क्यों डरे हुए हो।
भयभीत होने के पीछे
कोई कारण होता है
ज्ञात या अज्ञात का डर
रिश्तों के बिखरने का डर
तुमने जो सम्पदा जोड़ी है
उसे खोने का डर
भविष्य का डर
असफल होने का डर
'लोग क्या कहेंगे' का डर
महान बनने के चक्कर में
महान न बन पाने का डर
'जो है' को
स्वीकार न कर पाने का डर
अकेलेपन का डर
सुरक्षा का डर
रोग और बुढ़ापे का डर
अनेकों समस्याओं का डर
न जाने कैसे-कैसे डर
सबसे बड़ा डर जो
मानव के लिए
एक चुनौती है
मृत्यु का डर।
जब तक आप भय से
शरीर में होने वाली क्रियाओं व
प्रतिक्रियाओं के प्रति
सजग नहीं हो जाते
आप उसे समझने नहीं लगते
भय से मुक्ति संभव नहीं।
मन ही भय का जन्मदाता है
जब मन भयभीत होता है
वह विश्लेषण प्रारंभ करता है
इतनी उलझन पैदा करता है
आप और भी
भयभीत हो जाते हैं।
भय को समझना
भय से बचने की कोशिश न करना
उसका सामना करना
बार बार उस स्थिति की
कल्पना करना
जिससे आप डरते हैं
बुद्धि और विवेक से
उससे निपटना ही
भय को खत्म करने का
एकमात्र तरीका है।
