"डर खो देने का"
"डर खो देने का"
बस खो देने का डर
और पा लेने की बैचेनी,
ही है मेरा सबसे बडा़ डर।
नित नयी चुनौतियों से
लड़ता हूं मैं यारों,
मंजिल को पा लेने से पहले
डरता हूं मैं यारों
ना जाने क्यूं किसी को खोने
से डरता है मन,
रोजाना सपने टूटने पर बिखरता हूं मैं।
टूटने पर फिर से खड़ा होता हूं मैं,
कैसे बांधेगी ये मुश्किलों की दीवारे मुझे,
मुश्किलों से जूझना अच्छे से आता है मुझे,
हर दिन खु़द से एक नयी जंग लड़ता हूं,
पर ना जाने क्या खो देने से डरता हूं।
कोशिशें बेशक मेरी कमाल कर जाती हैं,
हर दिन नयी चुनौतियों से टकराती हैं,
मेहनत और हिम्मत मेरे साथी हैं,
फिर भी मन में क्यों बैचेनी है,
हर दिन एक नयी जंग लड़ता हूं,
फिर भी खो देने से क्यों डरता हूं।
