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Rashmi Sinha

Inspirational

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Rashmi Sinha

Inspirational

डॉक्टर

डॉक्टर

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पता नहीं वो कैसी डॉक्टर थी,

न उसके तन पर था श्वेत कोट,

न गले में स्टेथस्कोप---

न मुंह खुलवाती थी,

न जुबान बाहर निकलवाती थी,


नाड़ी स्पंदन गिनना,

उसने कब जाना,

न पसलियां ठोंकना, न गहरी सांस,

न ले पाने पर टोकना,


बस माथे पर हाथ रखती थी,

गर्म देख-----

चिंतित हो जाती थी,

कभी कुशल डॉक्टर की भांति,

पेट छूना,

और थोड़ी देर में, 

माथे पर शीतल पट्टियों का होना,


और जाने क्या-क्या पड़ा हुआ,

गर्म काढ़ा पिला कर,

मुझे किनारे खिसकाकर,

बगल में लेट जाती थी,


कभी बालों में उंगलियां,

तो कभी खींच कर, सीने से लगाती थी,

तपती देह,

शीतल हो जाती थी,

कहाँ हो?

ओ डॉक्टरों की भी डॉक्टर,

मेरी माँ!!



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