हर उम्र का अपना मज़ा है हर उम्र का अपना मज़ा है
सोचा एक दिन करूँगी अपने ऊपर खर्च अपने पल सोचा एक दिन करूँगी अपने ऊपर खर्च अपने पल
इस बंजर धरती पर खुशियों के फूल खिलाता है इस बंजर धरती पर खुशियों के फूल खिलाता है
न पसलियां ठोंकना, न गहरी सांस, न ले पाने पर टोकना, न पसलियां ठोंकना, न गहरी सांस, न ले पाने पर टोकना,
इस बहाने से, बस दूर से ही ताका करता हूं, रोक देती है पास तू आने से। इस बहाने से, बस दूर से ही ताका करता हूं, रोक देती है पास तू आने से।
तुम्हारी बेशर्म बालों की लटें चेहरे को चूमते हुए अठखेलियाँ करती हैं- तुम्हारी बेशर्म बालों की लटें चेहरे को चूमते हुए अठखेलियाँ करती हैं-