डिजिटल मित्रता का मंत्र
डिजिटल मित्रता का मंत्र
अधिक नहीं है
चाह हमारी,
थोड़े से ही हम
संतोष करेंगे !
जीवन सुंदर कट
जाए यूँ ही
प्रेम सुधा नित
पान करेंगे !
है अभिलाषा
कुछ मित्रों की,
जो दिल से जुड़के
रह पाएंगे !
कम से कम
समझें सबको,
सम्मान सदा हम
कर पाएंगे !
बहुसंख्यक
मित्रों की टोली,
के मित्रों को
कैसे पहचानेंगे ?
सबसे जुड़ना
मुस्किल होगा,
यादों में वो
कैसे रह पाएंगे ?
हम खुश हैं
सीमित बंधन में,
थोड़े से ही हम
संतोष करेंगे !
हम बंधन में
बंध गए फिर तो,
जन्मों तक ना
बिछुड़ पाएंगे !
