STORYMIRROR

Dinesh Dubey

Abstract

3  

Dinesh Dubey

Abstract

ढूंढ रहा हूं

ढूंढ रहा हूं

1 min
12


ढूंढ रहा हूं मैं भी कबसे ,

जो मेरी परवाह करे ,

जो मेरे दिल में बस जाए ,

मेरे लिए लड़ जाए रब से ,।

काश मुझे मिल जाती वो ,

जो सच्चा हमसफर बनती ,

साथ मेरे हर पल रहती वो,

मेरे दिल का ध्यान वो रखती,।

ना जाने वो समय कब आएगा,

जब वो आंखें बिछाएं मिलेगी,

मेरी ही यादों को अपने ,

आंखों में सजा कर रखेगी,!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract