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AJAY AMITABH SUMAN

Abstract

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AJAY AMITABH SUMAN

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डेमोक्रेटिक बग

डेमोक्रेटिक बग

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हर पांच साल पर प्यार जताने आ जाते ये धीरे से,

आलिशान राजमहल निवासी छा जाते ये धीरे से।


जब भी जनता शांत पड़ी हो जन के मन में अमन बसे,

इनको खुजली हो जाती जुगाड़ लगाते धीरे से। 


इनके मतलब दीन नहीं दीनों के वोटों से मतलब ,

जो भी मिली हुई है झट से ले लेते ये धीरे से।


मदिरा का रसपान करा के वादों का बस भान करा के,

वोटों की अदला बदली नोटों से करते धीरे से। 


झूठे सपने सजा सजा के जाले वाले रचा रचा के,

मकड़ी जैसे हीं मकड़ी का जाल बिछाते धीरे से। 


यही देश में आग लगाते और राख की बात फैलाते,

प्रजातंत्र के दीमक है सब खा जाते ये धीरे से।


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