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akshata alias shubhada Tirodkar

Abstract

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akshata alias shubhada Tirodkar

Abstract

डायरी ...

डायरी ...

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आज फिर से खोलना चाहती हूँ मैं तुमसे कई दिनो की बात...

लिखना चाहती हूँ फिर से तुम पर मेरे दिल की बात

यू तो बंद कर रखा था मैंने तुम्हे कई साल ...

मेरी यादों भावनाओं को सम्भाल कर रखा था तुमने अपने साथ...

आज न जाने क्यों अचानक से तुम्हारी याद आ गयी

तो जड़ से तुम्हारी खोज शुरु हो गयी

थी तुम मेरे अलमारी मे चैन से पड़ी

संभल कर रखी थी.मै ने तुम्हे मेरी यादों की छवि।


तुम्हें देख कर मन खुशी से झूम उठा ...

हर पन्ना पढ़ने का मन हुआ ...

हर पन्ना पुराना होकर भी आज ताजा लग रहा था

मुझे मेरी लिखी यांदो मे लेकर जा रहा था ...

कुछ समय तक लगा बस यही मेरी दुनिया है..

मेरी डायरी ही मेरा जमाना है और खुशियो का खजाना है।



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