दौड़
दौड़
दौड़ सब रहे हैं
लक्ष्य की कमी है
मशीनों के भरोसे हैं
भरोसेमंद शख्स की कमी है
पानी मिल जाता आज पैसों से
आंखों में पानी की कमी है
सच पता है सबको जिंदगी की
इंसानियत की कमी है
मृगतृष्णा सी बनी जीवन में
प्यास की कमी है
रफ्तार से भागती जिंदगी में
अहसास की कमी है।