हम तारे हैं नभ के सारे
हम तारे हैं नभ के सारे
नभ में तारों के दीप सजे जगमग -जगमग सब करते हैं !
काली अंधियारी रातों में पथ दर्शक सारे बन जाते हैं !
दिशा भ्रांति जब होती है, ध्रुवतारा को देखते हैं !
समय क्षितिज के दर्पण को सप्तऋषि दिखलाते हैं !
तम की रातें सुलझ जाती है, रास्ते स्वयं निकाल जाते हैं !
काली अंधियारी रातों में ,पथ दर्शक सारे बन जाते हैं !
नभ में तारों के दीप सजे जगमग-जगमग सब करते हैं
काली अंधियारी रातों में पथ दर्शक सारे बन जाते हैं !
कुछ तारे एसे भी हैं जो मौन रहने की कसम खायीं हैं !
मद्धिम शिथिलता में रहकर,अपनी पहचान बनायीं हैं !
एक संग रहकर ये सब ,प्रकाश पुंज बन जाते हैं !
काली अंधियारी रातों में ,पथ दर्शक सारे बन जाते हैं !
नभ में तारों के दीप सजे, जगमग -जगमग सब करते हैं !
काली अंधियारी रातों में पथ दर्शक सारे बन जाते हैं !
हर रात दिवाली होती है,अंबर सारे खिल जाते हैं !
धरती को रोशनी मिलती है, सब झुमके मौज मानते हैं !
कोई बड़ा नहीं छोटा है, सब प्रकाश बन जाते हैं !
काली अंधियारी रातों में पथ दर्शक बन जाते हैं !
नभ में तारों के दीप सजे, जगमग -जगमग सब करते हैं !
काली अंधियारी रातों में, पथ दर्शक सारे बन जाते हैं !
